इस गाँव की एक अज़ीब बात यह है कि सितंबर और अक्तूबर की आमावस्या की रातों में ढेर सारे पक्षी इस गाँव की रोशनी की तरफ आकर्षित होते है और तब तक इस गाँव को नहीं छोड़ते अब तक वो मार नहीं जाते. इस गाँव में बड़े-बड़े बाँस के वृक्ष हैं जिनमें फँस कर बहुत से पक्षी मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं. पहले तो गाँव वालों ने इन पक्षियों का मंडराना डरावना लगता था और वो इनको भागने का प्रयास करते थे.
कुछ शोधकर्ताओं ने यह माना है कि इस गाँव के ऊँचे बाँस के वृक्ष और रोशनी की तरफ आना मुख्यतः पक्षियों का भटकना है. इस इलाक़े से गुजरने वाले पक्षी तीव्र हवाओं के कारण भटक जाते हैं और जब रोशनी की तरफ अपना ठिकाना ढूँढने का प्रयास करते हैं, लेकिन ऊँचे बाँस के वृक्ष में फँस कर अपनी जान गवाँ देते है. लेकिन यह सिद्धांत पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हो सका है.
अंततः हम यही कह सकते हैं कि यह एक अनसुलझा सवाल है और इसका जवाब मिलना बाकी है.
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