रूपकुंड झील के कंकाल

  

1942 में, रूपकुंड झील के फोरेस्ट रेंजर ने झील के किनारे कुछ मानव कंकाल देखा. सालों से यूरोपियन और भारतीय शोधकर्ताओं ने कितने शोध किए लेकिन कोई सही कारण सामने नही आ सका है. इन हड्डियों का कार्बन-डेटिंग पता करने पर पता चला है कि ये १२वीं और १५वीं शताब्दी की हैं. कुछ सिद्धांतों के मुताबिक, ये हड्डियाँ संग्रहित कर के रखी गयी है. एक सिद्धांत यह भी है कि द्वितीय विश्व-युद्ध में भारी मात्रा में मारे गये जापानी सैनिकों को यहाँ दफ़नाया गया था. कुछ तो यह भी मानते हैं की मुहम्मद तुगलक का कोई असफल मिशन इन कंकालों के पीछे है. एक और अटकल यह है कि इस इलाक़े में कोई बड़ा तूफान आया होगा जिससे इतने लोग मारे गये. 
जो भी है, इतने बड़े मात्रा में कंकालों का पाया जाना यह तो बताता है कि बड़ी मात्रा में कोई नर-संहार हुआ है परंन्तू यह एक ऐसी पहेली है जिसका जवाब इतिहास के किसी ऐसे पन्ने पर लिखा है जिसको आज तक पलटना बाकी है.
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